साथ दिया इतने तक तुमने,
अब दूर क्यों जाते हो,
सफ़र कट चुका लगभग अब तो,
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
हाथ पकड़ा था मेरा जब
मैं अनजान अकेला था,
सब कुछ अब जब जान गया मैं,
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
हँसता मैं, संग हँसते थे,
रोते पल में तुम थमते थे,
अब तुम यूँ चुप-चुप से रहकर
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
कितनी ही भटकी राहों में
साथ तुम चले मेरे थे,
सीधी-सीधी राहों में अब
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
तुम मुझसे कुछ दूर-दूर हो,
कमी तुम्हारी खलती है,
साथ तुम्हारा जब मैं चाहूँ,
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
कोई भूल हुई हो मुझसे ,
तो उसको तुम माफ़ करो,
कुछ कहने को दिए बिना यूँ,
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?
तुम्हें अपनों में देखा है,
वह छवि मिटा क्यों जाते हो ?
तुम मेरे इतने प्यारे हो,
मुझे छोड़ क्यों जाते हो ?