Wednesday, January 28, 2009

प्रेरणा

शुभ्र, सौम्य मूर्त्ति राजती जो मन में,
स्नेह मधुर उड़ेलती जीवन में।

उज्ज्वल, स्नेहमयी, मधुहासिनी प्रिय
शरद ज्योत्स्ना-सी जीवन में

पग पथ-विचलित जब घन अन्ध-तिमिर में
हाथ थामती मेरा जीवन में।

जब ध्येयहीन मैं निज जीवन-पथ में
विश्वास भरती मेरे जीवन में।

हृदय विकल दग्ध जब हृदयानल से
ताप दुःसह हरती जीवन में।

चित्रखचित मम हृदयाकाश में अविचल
शीतल प्रकाश भरती जीवन में।

हर क्षण शुभ, मंगल सिद्ध भवे सब,
यह वरदान देती जीवन में।

परिमल, प्रांजल, प्रिय, शुभ भावमयी
हर्षित विहान भरती जीवन में।

कोमल, सहज, दृढ़, गर्वित, उर्ध्वमयी,
विश्वास अभय भरती जीवन में।

छन्दमयी- नानाविध सौन्दर्यमयी,
काव्यप्रेरणा मेरी जीवन में।

वरद् सौम्य शुभ विहसित प्रतिमा-सी,
मुझे साकार करती जीवन में।

Thursday, January 1, 2009

नववर्ष

जाग उठी है भोर सुनहरी
भागा अंतरमन का तम है
पुलकित हर्षित धूप रुपहली
छकित हुआ ह्रदय उपवन है।

अरुण उदित दीप्त अम्बर में
विभा विकीर्ण नभ के उपवन में
तन-मन कम्पित अति उमंग से
कुसुम खिले जग के कानन में।

बेला नव उत्साह ग्रहण की
हो रहा मन में गुंजन है
प्रेरित हों उस आदिशक्ति से
करते जिसका हम वंदन हैं।

नव वर्ष में भवे हर्ष नव
जीवन में उत्कर्ष भवे तव
दिवस प्रहर हर क्षण हो सुन्दर
मुदित मन में हो मंगल रव।

संवत् सिद्ध भवे नित उज्जवल
छाप अमिट छोडे तव पदतल
भाव सुमन हैं तुझको अर्पित
दर्शित हो केवल उदयाचल।

रचता मन में गीत मनोहर
स्मृति विगत हर्षित यह अंतर
भाव कोकिला पंचम गाये
मंगल उर गाता संग सस्वर।

मंजुल मुदित उल्लसित जीवन
करते निज शुभ भाव समर्पण
मंगलमय यह वर्ष मित्रवर
समय बने उज्जवल सुन्दरतम।