Wednesday, May 18, 2016

तुम मेरे ही बन आये हो

मैंने तुमसे पुष्प कहा था,
तुम उपवन ही ले आये हो,
मैंने तुमसे बूँदें मांगी थी,
तुम निर्झर ही बन आये हो।

मैंने तुमसे कुछ पल मांगे थे
तुम जीवन ही ले आये हो,
मैंने तुमसे कुछ शब्द कहे थे
तुम कविता ही बन आये हो।

मैंने तुमको खुद में चाहा था
तुम साँसों में घुल आये हो
मैंने बस एक नजर मांगी थी
तुम आँखों में बस आये हो।

मैंने इक धड़कन मांगी थी
तुम ह्रदय ही बन आये हो,
मैंने बस एक छवि चाही थी
तुम दर्पण ही बन आये हो।

मैंने तुमसे इक अंश कहा था
तुम सकल स्वयं बन आये हो
मैंने तुमसे इक हास कहा था
तुम आनंद मधुर बन आये हो।

मैंने तुमको प्राण कहा था
तुम जीवन ही बन आये हो,
मैंने बस मंज़िल पूछी थी,
तुम राह मेरी बन आये हो।

अब और क्या कहूँ तुमसे,
जब मेरे ही बन आये हो।