Sunday, August 28, 2011

"मैं पढूंगा तो तुम कैसे पढोगे?"

एक बार मैं राँची से नेतरहाट जाने वाली बस में बैठा हुआ था सवेरे का समय था ज्यादा भीड़-भाड़ भी नहीं थी लोगों का यात्रा में सबसे अच्छा साथी अख़बार होता है या फिर कोई पत्र-पत्रिका। मैं भी उसी एक साथी की तलाश की सोच में था, तभी एक लड़का,जिसकी उम्र मुश्किल से दस साल की रही होगी, अख़बार बेचने के लिए बस में चढ़ा बगल में बैठे एक व्यक्ति ने उससे यूँ ही मजाक में पूछा- "तुम पढ़ते-लिखते क्यों नहीं ? तुम्हारी उम्र तो स्कूल जाने की है तुम्हें पढ़ना चाहिए ना" वो लड़का शायद ऐसे सवालों का अभ्यस्त था उसने बिना वक्त लगाये तुंरत उत्तर दिया-"अगर मैं भी पढने-लिखने लगूँ , तो फिर तुमलोग ये सब कैसे पढ़ोगे"

यह उत्तर जिस शीघ्रता के साथ दिया गया, उससे मैं सोच में पड़ गया यह उत्तर उसकी उम्र के साथ मेल नहीं खा रहा था यह शायद पहले से सिखाया हुआ उत्तर हो सकता है लेकिन अगर यह उसका स्वयं का उत्तर था, तो फिर हमें उसकी तारीफ करनी होगी यह उसका ख़ुद का उत्तर नहीं हो सकता...और होना भी नहीं चाहिए...

कुछ ही समय बाद वह लड़का मुझे नीचे धुँए के छल्ले उडाता हुआ दिखा यह तो कोई मजबूरी नहीं थी लेकिन मैं यही देख रहा था। यह घटना अपने-आप में कई सवाल खड़े करती है....शायद अधिकांशतः अनसुलझे प्रश्न ही, जिनका उत्तर हमें आसानी से नहीं मिल पाता है..........

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