Thursday, March 6, 2008

गीत नया फिर गाएँगे

(यह कविता या गीत जो भी कहा जाये, फ़रवरी,2008 में निर्माण( fest of civil engineering division,CUSAT) के लिये लिखी गयी थी.)


हम गीत नया गाएँगे.
हम सब मिले हैं आज यहाँ,
ये दिल खिले हैं आज यहाँ,
हृदय में खिलते भावों से
ये पल हर पल हो जवाँ.
इस निर्माण की महफ़िल का कुछ
समाँ छोड़ हम जाएँगे.
हम गीत नया फिर गाएँगे.



उमंग का प्रिय उत्सव यह
रंग विविध दिलों पर छाए,
मिलन के इन प्यारे पलों ने
यादों के अब फूल खिलाये.
पल कितने किसने देखे हैं
हम आज उन्हें जी जाएँगे.
हम गीत नया फिर गाएँगे.



सपनों की कुछ बातें हैं,
नगमों की कुछ बातें हैं,
ये शाम भी ढ़ल जाएगी
रहने वाली बस यादें हैं.
यादों की दुनिया को हम
कुछ आज नया दे जाएँगे.
हम गीत नया फिर गाएँगे.



यह संध्या संग झूम रही,
देखो, सब संग झूम रहे,
सबकी धड़कन की मस्ती ने
इस महफ़िल में रंग भरे.
यह निर्माण की शाम है
इसको याद बना जाएँगे.
हम गीत नया फिर गाएँगे.



प्यार हमारा है सबों को,
दुआ हमारी है सबों को,
सदा रहे यह याराना
यही कहना है सबों को.
हमारी इस मिलनवेला में
हम गीत खुशी के गाएँगे.
हम गीत नया फिर गाएँगे.







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