Monday, March 3, 2008

कवि का अर्थ

यदि सब साफ़-साफ़ कह दूँ तो
कवि होने का अर्थ क्या है?

कुछ दहक अन्दर भी रहने दो,
उर में जो ज्वाला जल रही
उसमें तुम मुझको जलने दो.
उस तपिश में तुमको न जलाऊँ तो
कवि होने का अर्थ क्या है?

गर्द यादों पर जमी रहने दो,
बार-बार जो विकल करती
वह चुभन तो मुझे सहने दो.
वो अहसास तुम्हें न कराऊँ तो
कवि होने का अर्थ क्या है?

कुछ फूल मुझे भी चुनने दो,
बिखरे पलों की महकती
सुगन्ध में मुझे रमने दो.
उस गन्ध का यदि परिचय न दूँ तो
कवि होने का अर्थ क्या है?

शीतल सुधा का पता ज्ञात हो,
दग्ध अन्तस् की शान्ति हेतु
उस सुधा का पान मुझे करने दो.
हृदय की शान्ति तुम्हें न दूँ तो
कवि होने का अर्थ क्या है?


2 comments:

aarsee said...

बहुत सही रंग में दिखे हो

Mayuresh said...

touching the limit ..keep going up n up , the sky is urs.