यह द्वेष क्यों
नव प्रेम है।
यह तिमिर क्यों
नव हेम है।
यह व्यथा क्यों
नव राह है।
यह क्लेश क्यों
नव चाह है।
यह दाह क्यों
नव सोम है।
यह क्षीण क्यों
नव व्योम है।
नव प्रेम है।
यह तिमिर क्यों
नव हेम है।
यह व्यथा क्यों
नव राह है।
यह क्लेश क्यों
नव चाह है।
यह दाह क्यों
नव सोम है।
यह क्षीण क्यों
नव व्योम है।
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